biography of vijay sekher sharma

पेटीएम के निर्माता विजय शेखर शर्मा बायोग्राफी | 
विजय शेखर शर्मा की जीवनी 
Paytm का नाम आपने सबने सुना होगा। हममे से ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। और इसके द्वारा दी गयी सुविधाओ का लाभ भी उठा रहे हैं। पर आपको क्या पता है कि पेटीएम की शुरुआत किसने की है। दरअसल पेटीएम की शुरुआत विजय शेखर शर्मा द्वारा की गई। आज के इस पोस्ट में हम विजय शेखर शर्मा - विजय शेखर शर्मा के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों से आपको रूबरू प्रदान करने वाले हैं। Paytm के निर्माता विजय शेखर शर्मा की बायोग्राफी - विजय शेखर शर्मा की जीवनी
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर सफल इंसान की जिंदगी में कई बार मिली असफलताओं का अहम योगदान होता है। अक्सर हम अपनी जिंदगी में मिली असफलताओं की वजह से निराश हो जाते है और अपने कदम पीछे खींच लेते है। लेकिन इन असफलताओं से सीख लेकर जो इंसान कदम आगे बढ़ाता है सफलता उसी इंसान के कदम चूमती है।आज के इस पोस्ट में हम विजय शेखर शर्मा की ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी से आपको अवगत कराने जा रहे हैं। हम आपको बताएंगे कि किस तरह से उन्होंने जोश, जुनून और साहस के साथ अपने जीवन मे आयी कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता की कहानी अपने नाम लिखी। 
विजय शेखर शर्मा का प्रारंभिक जीवन - विजय शेखर शर्मा प्रारंभिक जीवन विजय शेखर शर्मा 
का जन्म 8 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित अलीगढ़ जिले के विजयगढ़ नामक गाँव मे हुआ था। इनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनकी माताजी गृहणी थी और पिताजी एक स्कूल में अध्यापक थे।

विजय शेखर शर्मा शिक्षा - विजय शेखर शर्मा शिक्षा विजय शेखर ने 
अपनी प्रारंभिक शिक्षा विजयगढ़ गांव के एक हिंदी मीडियम स्कूल से पूरी की। शुरुआत से ही विजय शेखर बहुत मेधावी छात्र थे, जिन्होंने अपनी प्रारंभिक परीक्षाएँ अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण की। 

कॉलेज की पढ़ाई 

14 साल की उम्र में 12 वी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में B.tech में एडमिशन ले लिया। 

चूंकि विजयशेखर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिंदी माध्यम से की थी जिसकी वजह से वह अंग्रेजी में काफी कमजोर थे। इसलिए उन्हें आने में कठिनाई हो रही है। यहाँ तक कि इसकी वजह से बडी मुश्किल ये कॉलेज की परीक्षा में पास हो पाए थे। ऐसा छात्र जिसने शुरुआत से ही अपनी हर परीक्षा में टॉप किया हो उसके लिए बेहद मुश्किल का समय होता है, जब उसके पास होने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

इसका परिणाम यह हुआ कि विजय शेखर के मन के हटने से लगा। और वो अपनी जिंदगी से निराश होने लगे। जिज़के परिणाम यह हुआ कि विजयशेखर अपनी कक्षा में अनुपस्थित रहने लगे। एक के बार तो उनके मन मे यह विचार आया कि वह केवी छोड़ दे। 

लेकिन कहा जाता है कि जब इंसान की किस्मत अच्छी हो और व्यक्ति में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो लाख परेशानियां आये इंसानों के लिए उपर ही जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ विजय शेखर के साथ। उन्होंने अपने मे दृढ़ निश्चय को ले लिया कि वे अपनी अंग्रेजी को सुधारेंगे। इसके लिए उन्होंने कई स्थानों से अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया। न्यूज़ वॉलपेपर, मैगजीन इत्यादि की मदत से उन्होंने अपने अंग्रेजी के ज्ञान को बढ़ाना शुरू किया। 

कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर जल्द ही विजयशेखर अंग्रेजी भाषा मे पराेन्ट हो गए। 

विजय शेखर की पेटीएम का सफर - विजय शेखर की पेटीएम की यात्रा
विजय शेखर अपनी जिंदगी में कुछ ऐसे करना चाहते थे जो उन्हें दुनिया मे अलग पहचान दिला सके। इसके लिए वे हमेशा प्रयास करते रहते थे। 

उन दिनों जब विजयशेखर का ध्यान कें से हटने लगा था और वो कक्षा में अनुपस्थित रहने लगे थे, तब उनके पास पर्याप्त समय रहता था जिसका उपयोग उन्होंने इंटरनेट की दुनिया को ठीक ढंग से समझने में किया था। 

विजय शेखर याहू के मालिक मिस्टर सबीर भाटिया को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। और उन्ही की तरह इंटरनेट की दुनिया मे अपना नाम बनाना चाहते थे।

विजय शेखर का सपना था कि स्टैनफोर्ड कॉलेज में जाकर पढ़ाई करें। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति की वजह से यह सम्भव नहीं हो पाया। लेकिन फिर भी उसमें भी हार नहीं मानी और स्टैनफोर्ड कॉलेज के ही कुछ जीनियस स्टूडेंट्स को फॉलो करते हुए उसने कोड सीखना सीखा। यही नहीं उन्होंने विभिन्न किताबो की मदद से भी कोडिंग करना सीखा है। और जिसकी मदद से उसने सामग्री प्रबंधन प्रणाली तैयार की है। भारत की कई बड़ी बड़ी न्यूज़ मैगजीन ने उनके कंटेंट का इस्तेमाल भी किया। 

जब विजय शेखर सिंह के तीसरे साल में थे तब उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर XS नाम की एक कंपनी की शुरुआत कीA जिसका बिजय मॉडल लोगो द्वारा खूब पसंद किया गया था। सन 1999 में शेखर ने इस कॉम्पनी को यूएसए के लोटस नेटवर्क को $ 5,00,000 में बेच कर कमानेौर कर्मचारी के रूप में इसी में शामिल किया।

लेकिन इनको नौकरी करना रास नहीं आया। इसकी एक खास वजह यह थी कि विजय शेखर का रुझान बिजिनेस की तरफ था। विजय शेखर ने नए बिजिनेस को शुरू करने का विचार शुरू किया। और इस प्रयास में लग गए कि किस तरह से नए बिजिनेस की स्थापना की जाए। 

तत्पश्चात सन 2001 में विजय शेखर ने व्दम 97 की स्थापना की जिसमें वह अब तक जमा की गई सारी राशि लगा दी गई लेकिन उसन्ही कारणों से वन97 विजेताओं से काम करने में असफल रही। इस असफलता ने विजयशेखर को अंदर से तोड़ कर रख दिया। इसकी कोई असफलता की वजह से विजयशेखर आर्थिक परेशानियों से भी घिर गए। कहते है ना कि जब मुसीबत आती है तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं तो ऐसे ही कुछ उनके साथ भी हुआ इस बार उनके साथ जो पार्टनर थे वो वन97 छोड़ कर चले गए। 

इस समय विजय शेखर काफी आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे। यह तक कि कभी कभी उनके पास कुछ कहने को भी पैसे नहीं होते थे और ये पूरे दिन बस चाय पीकर रह जाते थे।

लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी विजय शेखर ने अपना हौसला नहीं छोड़ा और कठिन और दृढ़निश्चयी होकर कार्य मे लगे रहे। 

कहते हैं कि जब इंसान मेहनत करता है तो सफलता झकमार के पीछे आती है तो ऐसा ही कुछ विजय शेखर के साथ हुआ। काफी मेहनत के बाद उनकी बनाई हुई कंपनीं ने जो कि जीएसएम और सीडीएमए मोबाइल ऑपरेटर को सेवाएं देती थी उसने काम करने शुरू कर दिया था और उस कंपनी ने भी फायदा नहीं होने दिया। 

अब विजय शेखर के दिमाग मे एक नए विचार ने अपना घर बनाने की शुरुआत कर दी थी। दरअसल बात यह थी कि बाजार में स्मार्टफोन ने नया.नया कदम रखा था और जल्द ही यह लोगो की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुका था। समय की मांग और स्मार्टफोन को पॉपुलैरिटी को देखते हुए विजय शेखर के दिमाग मे कैशलेस ट्रांसेक्शन की इडिया ने जन्म दिया लिया।

उन्होंने सबसे पहले One97 के बोर्ड के सामने इससे संबंधित प्रपोजल रखा। लेकिन चूंकि यह One97 का शुरुआती दौर था, ऐसे में बोर्ड के सदस्यों ने कोई भी रसीद उठाने से मना कर दिया। 

बोर्ड के जश्न मनाने के बाद विजय शेखर ने दूसरे तरीके से इस पर काम करना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं में से 1% जो कि लगभग $ 2 Mn था, को इस कार्य मे लगाना शुरू किया और अपने प्रयासों की मदद से सन 2001 में In Paytm की स्थापना की। 

शुरुआत में पेटीएम के उपयोग मोबाइल को रिचार्ज करने या फिर डीटीएच रिचार्ज करने इत्यादि में किया गया था। धीरे .धीरे इसमे और भी फीचर श्रृंखलाएँ जिनकी मदद से बिजली बिल, गैस बिल, ट्रैन का टिकट, बस का टिकट इत्यादि बुक करने की सुविधा उपलब्ध हो गयी। जैसे यह यह कंपनी लोगो के बीच मेस्पुलर होती गयी उसी तरह इसमे नई.नई सुविधाओं को मिलाती गयी। पेटीएम पर खरीदारी की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गयी।

आज के दौर में तो पेटीएम सबके बीच मेस्पुलर हो चुका है। नोटबन्दी के बाद सेएए और जब से प्रधानमंत्री ने कैशलेस भारत की मुहिम शुरू की है तब से चंलजौ का उपयोग लोगो के बीच मे और भी बढ़ गया है। यह कोई नहीं है पेटीएम भारत की सबसे अधिक सेलुलर पेमेंट साइट के रूप में उभर कर सामने आई है। जिसका मुख्य कारण इस कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही सेवा है। यह कंपनीन भारत के सभी राज्यो में आपकी सेवा दे रही है। 

इस कंपनीं का कुल कारोबार 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो विजय शेखर की सफलता को बयां करता है। यही पर इनकी सफलता की कहानी नहीं रूकती है। इनको इकोनॉमिक टाइम्स के द्वारा 'इंडियाज हॉटेस्ट बिजनेस लीडर अंडर 40' के रूप में चुना गया।

विजय शेखर की यह कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेणना का स्त्रोत है जो अपने मेहनत के बल पर कुछ भी कर जाने का जज्बा रखते हैं। यह कोई नहीं है जो लोग जो अपने जीवन मे आयी कठिनाइयों से हार गए हैं उनके लिए यह कहानी आशा की नई किरण हैं। 

हर इंसान को विजय शेखर से प्रेरित होना चाहिए और जीवन मे आयी कठिनाइयों से हार मानने के बजाय उसे सीखना चाहिए कि आगे बढ़ते रहने का प्रयास करना चाहिए

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